मुस्कुराता कहाँ है - अनिरुद्ध कुमार
Apr 8, 2024, 23:21 IST
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यहाँ साथ कोई निभाता कहाँ है,
गले से किसी को लगाता कहाँ है।
भरोसा करें क्या बुरा ये जमाना,
शहर ये अजूबा सुहाता कहाँ है।
जिसे देखते है परेशान हरदम,
नशीबा बता आजमाता कहाँ है।
जिधर देखते बस तड़प बेकरारी,
लगी आग दिल में बुझाता कहाँ है।
तमाशा लगे है यहाँ जिंदगी अब
सभी जी रहें पर लुभाता कहाँ है।
अँधेरा सताये कदम डगमगाये,
सदा चोट खाता भुलाता कहाँ है।
जहां देखते मतलबी आदमी 'अनि',
यहाँ लब बता मुस्कुराता कहाँ है।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड