ज़ब तुम मिलोगी - जितेंद्र कुमार

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जब तुम आओगी खोया हुआ पाओगी मुझे,

मेरी तन्हाई में ख्वाबों के सिवा कुछ भी नहींl

मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हे,

मेरे कमरे में मेरी  आसुओ के सिवा कुछ नहीं l

मेरी दुनिया में अंधेरों के सिवा कुछ भी नहीं,

मेरी राहों में काटो के सिवा कुछ भी नहीं,

मुझे खूबसूरत बनाने की तमन्ना है तुम्हे,

मेरे पास बुराइयों के सिवा कुछ भी नहीं,

ज़ब तुम आओगी खोया हुआ पाओगी मुझे

मेरी तन्हाई में ख्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं l

मेरी मंजिल का कोई  अब ठिकाना नहीं,

मेरी डूबती कस्ती का अब कोई सहारा नहीं,

मुझे हमेशा ख़ुश देखने की चाहत थी तुम्हे,

मेरे पास गम के सिवा और कुछ नहीं l

ज़ब तुम आओगी खोया हुआ पाओगी मुझे

मेरी तन्हाई में ख्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं l

मेरी किस्मत कोई पल नहीं कि रूठी नहीं,

मेरी लकीरें हाथों की कभी ख़ुश रही नहीं,

मेरी दुनिया को खूबसूरत बनाने की आरजू है तुम्हे,

मेरी दुनिया में बीरान के सिवा कुछ भी नहीं,

ज़ब तुम आओगी खोया हुआ पाओगी मुझे,

मेरे तन्हाई में ख्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं,

मुझे हमेशा सफल देखने का अरमान है तुम्हे,

मेरे दिलो दिमाग़ में तेरे सिवा कुछ और याद नहीं l

मेरी दुनिया में आये और बोले कभी विछड़ेंगे नहीं,

मेरी नासमझ को देखकर कभी मुँह फेरोगे नहीं,

मेरी भोली दुनिया की भोली सूरत तुम थे कब नहीं,

मेरे जीवन को रंगीन बनाने की अतुरता थी तुम्हे,

मेरे जीवन का फीकापन कम हुआ ही नहीं l

ज़ब तुम आओगी खोया हुआ पाओगी मुझे,

मेरे तन्हाई में ख्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं,

ज़ब तुम आओगी खोया हुआ पाओगी मुझे ll   

- जितेंद्र कुमार गोरखपुर, उत्तर प्रदेश