जब मैं हँसता हूँ - सुनील गुप्ता

(1)"जब ", जब मैं रहता हूँ स्वयं में
तब हँसता रहता हूँ सदा !
जीवन के हर एक पल में....,
रचता हूँ मैं जीवन सदा !!
(2)"मैं ", मैं से समष्टि पे आ जाएं
तब बनता है जीवन प्रसन्न !
अपने चारों ओर है फैला.....,
जीवन का उत्सव बसंत !!
(3)"हँसता ", हँसता जीवन सबको सुभाए
जीवन में लाए खुशियाँ !
पल-पल जीवन जीते जाएं....,
महकालें अपनी दुनिया !!
(4)"हूँ ", हूँ मैं सबमें, मुझमें सब है
है यही सच्चा जीवन भाव !
जीवन के इस परम सत्य को....,
चलें उतारते रख सदभाव !!
(5)"जब मैं हँसता हूँ ", यहां पर
तब हँसती है ये पूरी दुनिया !
हँसते हँसाते रहें सदा यहां.....,
चलें महकाते जीवन बगिया !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान