ये कैसी घड़ी है आई - सुनील गुप्ता
आई
कैसी है घड़ी सुंदर
कि, अयोध्या में श्रीरामललाजी हुए प्रतिष्ठित !
गूंज रहे चहुँओर सियारामजी के जयकारे.....,
और तन-मन जीवन चला झूमें गाए आनंदित !!1!!
छाई
आनंद खुशियों की बेला
देश में बना पर्व उत्सव का सा माहौल !
लगा है श्रीअयोध्याधाम में भक्तजनों का रेला.....,
और श्रीराम मंदिर के पट दिए गए हैं खोल !!2!!
पाई
श्रीरामललाजी ने अपनी जन्मभूमि
हुई पांच सौ बरस की तपस्या सफल !
जय-जय पावन जननी जन्म भूमिश्च.....,
कि,हुए श्रीरामललाजी के दर्शन सुलभ हर पल !!3!!
लाई
गयीं सभी अप्रतिम अनुपम सौगातें
ख़ूब सजाया गया मंदिर प्रांगण भव्य !
नित्य आठोंयाम आ रहे लाखों भक्तजन हर्षाते....,
और दुनिया को कर रहा आकर्षित श्रीराममंदिर दिव्य !!4!!
गाई
जा रही शुभ मंगला आरती
हो रहीं भजनसंध्याएं संकीर्तन श्रीरामकथाएं !
हो आत्मविभोर चल रही प्रमुदित माता भारती.....,
और प्रज्वलित हों रही चहुँओर लाखों दीप श्रृंखलाएं !!5!!
गौरी सुत नंदन - सुनील गुप्ता
गौरी
सुत नंदन
करें रोज आरती आपकी प्रार्थना अर्चना !
और चढ़ाएं प्रिय मोदक दूर्वा केसरिया चंदन....,
करें संकटनाशन श्रीगणेश स्तोत्र की नित्य वंदना !!1!!
सुत
बने प्रिय
सतत रहे श्रीपार्वती महादेवजी की सेवा में !
और चले सदैव बसाए आपको अपने हिय.....,
करें हरेक कार्य का आगाज़ आपकी स्तुति करके !!2!!
नंदन
एकदन्त चतुर्बाहु
बनें प्रिय मूषकराज सुंदर सवारी आपकी !
और पूरे ब्रह्मांड की कर डाली यात्रा आपने.....,
मात-पिता की करी परिक्रमा जीती भाई से बाजी !!3!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान