कविता क्या है - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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कथ्य पिरो कर लय में लायें,कविता उसको कहते हैं।

भाव हृदय के जब लिख पायें,कविता उसको  कहते हैं।1

मन में कुंठित भाव अनेकों, उलझे रहते आपस में,

खोल गाँठ जो भी सुलझायें,कविता उसको कहते हैं।2

छटा बिखेरे प्रकृति निराली, भाँति-भाँति के बिंबों से,

वर्णन में दर्शन करवायें, कविता उसको कहते हैं।3

चंचल कोमल भाव चितेरे, प्रकृति उभारे दिन-प्रतिदिन,

मेघ घनेरे दृश्य दिखायें, कविता उसको कहते हैं।4

उछल-कूद कर पर्वत चीरे, धारा पल-पल गति बदले,

कल-कल की ध्वनि जब उपजायें,कविता उसको कहते हैं।5

पत्तों के जब बीच गुजर कर, मलय निकाले ध्वनि सर-सर,

दृश्य दूब के मन सिहरायें, कविता उसको कहते हैं।6

इंद्रधनुष के रंग बखाने, सतरंगे से बिंब गढ़ें,

धरती के हर रूप दिखायें,कविता उसको कहते हैं।7

झींगुर दादुर की आवाजें, कोयल कागा मन मोहें,

जब ये मिलेकर गान सुनायें, कविता उसको कहते हैं।8

गीत छंद उन्मुक्त लिखें जब, बंधन मन के खोल सभी,

लय में या बिन लय सब गायें, उसको कविता कहते हैं।9

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश