क्या और चाहिए विकास निधि - हरी राम यादव

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जो लोग विकास देखना चाहें,

    वह सब आ जायें मेरे गांव।

बही है विकास की ऐसी हवा,

    जहां चमक रही हर ठांव।

जहां चमचमाती सड़कें हैं,

    नहीं है कहीं एक भी गड्ढा।

चाहें  चश्मा वाले चल लें,

    चाहे चलें बूढ़े बाबा चड्ढा।

दोनों ओर बनी हैं नाली

   लगे हैं ऊंचे बिद्युत के पोल।

उस पर तार तने हैं टाइट ,

   नहीं है उसमें कोई झोल।

लगती रोज सड़क पर झाड़ू,

   कूड़े के नहीं मिलेंगे निशान।

देख सफाई की व्यवस्था,

    अचरज में हैं गांव के भगवान।

बने हैं सरकारी शौचालय,

   स्वच्छ है गांव के सिवान।

गूंज रहा है दीवारों पर नारा,

   स्वच्छ भारत अभियान।

बना हुआ है घर घर में,

   गरीबी वाले राशन का पर्चा।

गांव गली सब प्रफुल्लित,

    चल रहा सरकारी खर्चा ।

जल के लिए सरकारी नल है,

  ‌‌ चौबीसों घंटे पानी मौजूद।

पानी साफ है इतना कि,

    बीमारी का न कोई वजूद।

रोज गांव में घूम घूम कर,

    मिलते बेचारे जन प्रतिनिधि।

और पूछते गांव के लोगों से,

    क्या और चाहिए विकास निधि।।

- हरी राम यादव, अयोध्या, उत्तर प्रदेश

फोन नंबर 7087815074