Wallet - प्रदीप सहारे

 | 
pic

मेज पर पड़े,

लडके के wallet पर,

बूढे बाप की नजर पडी ।

तो !

थोडी देर देखता रहा,

सोचा क्या होगा,

इस wallet  में ।

उत्सुकता जगी, फिर बढ़ी ,

रहा नहीं गया ,

तो ?

थर थराते, कांपते हाथों से,

Wallet  को उठाया ।

धुंधली आँखों से,

कुछ खानो में,

देखने की कोशिश ।

देखा,

कुछ ज्यादा नहीं,

कुछ रुपये, क्रेडिट कार्ड,

लायसंस और कुछ रसीदे ।

बूढी धुंधली आँखे,

अतीत में खोई ।

कभी भरा रहता था,

हमारा wallet ।

माँ - बाप की तस्वीर संग ।

रखते थे कुलदेवता को संग ।

जाग गया अतीत से,

लड़के की हलचल से ।

इशारे से कुछ कहा ,

लडके ने झल्लाते हुए ।

समझ गया वह,

रखा wallet मेज पर ।

थर थर कांपते हाथो संग ,

कांप रहा था पूरा शरीर ।

कुर्सी पर बैठा तो ,

रुंधा गला और अश्क ,

बह रहें  अनवरत ...

- प्रदीप सहारे, नागपुर, महाराष्ट्र