गाँव — मधु शुक्ला
Tue, 28 Feb 2023
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मलीनता न पालते बड़े महान गाँव हैं,
गहें न स्वार्थ को सहायता प्रधान गाँव हैं।
हरीतिमा जहाँ बसे न छाँव की कमी रहे,
उदारता रखे सुखी न आँख में नमी रहे।
निवास बंधुता करे सभी समान गाँव हैं....।
न भोग लालसा यहाँ निवास सादगी करे,
न मान धर्म का घटे अबीर न्याय का झरे।
सुचारु ढंग से चलें सही विधान गाँव हैं....।
किसान अन्न हेतु खेत में लगे रहें सदा।
करें न खर्च नीतियाँ किफायती गहें सदा।
नवीन युक्ति ढूँढ़ते प्रयोग खान गाँव हैं।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश