विजय घनाक्षरी - डॉ पूर्णिमा पाण्डेय
Oct 13, 2024, 23:27 IST
| कजरारे है नयन,
मैया मेरी है मगन,
प्रीत ओढ़े है बसन,
तुमसे लागी लगन।
जगत करें पूजन,
करती मां है सृजन,
सुलभ कांति दर्शन,
महकता उपवन ।
जागे प्रेम की लगन,
करते मां का भजन,
पूछते हैं भक्तजन,
करूं इनको नमन ।
मैया बसे भवन,
लागी ऐसी लगन,
मात वंदन चरन,
आज कीजिए मनन।
- डॉ पूर्णिमा पाण्डेय 'पूर्णा'
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश