विजय घनाक्षरी - डॉ पूर्णिमा पाण्डेय

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कजरारे है नयन,

मैया मेरी है मगन,

प्रीत ओढ़े है बसन,

तुमसे लागी लगन।

जगत करें पूजन,

करती मां है सृजन,

सुलभ कांति दर्शन,

महकता उपवन ।

जागे प्रेम की लगन,

करते मां का भजन,

पूछते हैं भक्तजन,

करूं इनको नमन ।

मैया बसे भवन,

लागी ऐसी लगन,

मात वंदन चरन,

आज कीजिए मनन।

- डॉ पूर्णिमा पाण्डेय 'पूर्णा'

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश