बहुत सोच समझकर - राजेश कुमार

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बहुत सोच समझकर भगवान ने बनाया इंसान को।

कितने सुंदर रूप रंग से सजाया इंसान को।।

एक तन बनाया उसने कुछ सोच के पर घमड़ ने हैवान कर दिया इंसान को।

एक जुबा बनाई जिससे हो नित्य इंसानियत का गुणगान हो।।

पर मोह माया की लालच वह भूल बैठा भगवान को।

बहुत  सोच समझकर भगवान ने बनाया इंसान को।।

कहते खुशियां खुद के अंदर ही छुपी होती है।

बस उन्हें खुद ही ढूंढना होता है हर इंसान को।।

दुनिया के ऐश- आराम और अहम में कितना हो गया अभिमान हर इंसान को।

सबको को पता  की आखरी समय में साथ कुछ नही जाता ।।

सब यही धरा का धरा रह जाता है ये पता है हर इंसान को।

फिर क्यों किसलिए अपने पराओ से दगा कर रहा डर क्यों नही रहा अब इंसान को।।

बहुत सोच समझकर भगवान ने बनाया इंसान को।

बहुत सोच समझकर भगवान ने बनाया इंसान को इंसान को।।

- राजेश कुमार झा, बीना, मध्य प्रदेश