है कहने को बहुत कुछ - सुनील गुप्ता
( 1 ) है कहने को
बहुत कुछ हमारे पास,
यदि तुम कहो, तो करूँ शुरुआत !
मिले हो गया है हमें यहाँ पे एक अरसा....,
फिर भी मुझे याद हैं सभी पुरानी बात !!
( 2 ) हैं कहने को
कई एक कहानी किस्से,
यदि तुम सुनना चाहो, तो सुनाऊँ सखा !
एकदम सत्य और सभी हैं लीक से हटके..,
अनुभूत जाँचे-परखे करो मुझपे भरोसा !!
( 3 ) है कहने को
दुःखों से भरा पिटारा,
करो सुनना पसंद तो खोल दिखलाऊँ !
पूछो न हमसे ज़िंदगी के उन लम्हों को...,
रात के राज को कैसे तुम्हें बतलाऊँ !!
( 4 ) है कहने को
अपनों की अपनी बातें,
क्या तुम जानना चाहते हो वो सभी !
भले तुम कुछ न कहो,या कहो सब मुझसे..,
वे सब तो चलता होगा, तुम्हारे यहाँ पे भी !!
( 5 ) है कहने को
जानने समझने को बहुत,
पर जाने दो भूली-बिसरी बातें सभी !
अभी इस पल, करते हैं प्रेम-सुकून की बातें..,
पहलू में बैठ, जीएं चलें तत्क्षण को अभी !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान