देने का सुख - सुनील गुप्ता

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 ( 1 ) देने का सुख

जीवन जीने का सुख है,

नित्य सीखते चलें इसे प्रकृति से !

और चलें बाँटते धन व ज्ञान सभी...,

करते चलें श्रीहरि संकीर्तन तन-मन से !!

( 2 ) देने का सुख

प्रेम शांति का आधार बनें,

नित चलें पाएं यहाँ आनंद सघन  !

कभी किसी से न करें कोई शिकायत..,

और बस श्रीप्रभु से मिलाए चलें अपना मन !!

( 3 ) देने का सुख

सदैव खिलाए चले शुभानन,

नित भरता चले ये आत्मसंतोष से जीवन  !

और आराम से ये सफऱ कटता चले ...,

चले उत्साह उमंग से खिलखिलाए जीवन !!

( 4 ) देने का सुख

है अक्षय तृप्ति स्रोत,

ये चले भरता जीवन में है प्रसन्नता !

हरेक भोर जीवन की खिलती चली आए....,

और मिल जाए जीवन को अर्थ सार्थकता !!

( 5 ) देने का सुख

है अनंत सागर समान,

ये चले श्रीप्रभु से हमें मिलवाए  !

सदैव मुक्त हाथों से करते चलें हम दान....,

और श्रीहरि चरणों में स्थान बना पाएं !!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान