दल बदला, माहौल बनाया लेकिन नहीं मिला मौका - पवन वर्मा

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Vivratidarpan.com मध्य प्रदेश - मध्य प्रदेश के इस चुनाव में कुछ नेताओं के स्थिति में  बुंदेलखंडी कहावत 'दोउ दीन से गए पांडे, हलुआ मिला ना मांडे' सटीक बैठ रही है। कुछ नेता भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए कुछ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए, कुछ अन्य दल छोड़कर भाजपा या कांग्रेस में गए। उम्मीद थी कि टिकट मिल जाएगा, लेकिन हालात ने साथ नहीं दिया और अब जिस दल में गए उन्होंने टिकट नहीं दिया। अब अपनी राजनीति जमीन बनाए रखने के लिए इन्हें अपने आप में ही संघर्ष करना पड़ रहा है।

वीरेंद्र रघुंवशी- कोलारस से विधायक वीरेंद्र रघुवंशी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए। उन्होंने इस उम्मीद से कांग्रेस की सदस्यता ली थी कि वे शिवपुरी से चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस ने उन्हें टिकट ही नहीं दिया और इस सीट से अपने सीनियर विधायक केपी सिंह कक्काजू को टिकट दे दिया। शिवपुरी से टिकट का ऐलान होने के बाद भी वीरेंद्र रघुवंशी दिल्ली में डेरा जमाए रहे, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।

निशा बांगरे- राज्य प्रशासनिक सेवा की अफसर निशा बांगरे ने चुनाव लड़ने की ही चाह में अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया। कांग्रेस ने उनका इस्तीफा मंजूर होने का इंतजार किया, लेकिन इंतजार लंबा होता जा रहा था। अपना इस्तीफा स्वीकार करवाने के लिए वे सुप्रीम कोर्ट तक गई। कांग्रेस ने आमला सीट से निशा बांगरे की जगह पर मनोज मालवे को उम्मीदवार बना दिया। अब बांगरे ने कांग्रेस की सदस्यता तो ले ली, लेकिन वे चुनाव नहीं लडेंगी।

नारायण त्रिपाठी- मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने आचार संहिता लगने के बाद भाजपा की सदस्यता और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया। उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें शामिल कर लेगी, लेकिन कांग्रेस में उनकी बात नहीं बनी और पार्टी ने यहां से दूसरे उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया। अब त्रिपाठी अपनी खुद की पार्टी से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।

संजीव कुशवाह- भिंड से बसपा से पिछला चुनाव जीते संजीव कुशवाह ने भाजपा ज्वाइन कर ली और गुरुवार को भाजपा से इस्तीफा भी दे दिया। भाजपा ने अपनी चार लिस्ट में भिंड को छोड़कर रखा था, लेकिन पांचवीं लिस्ट में यहां से नरेंद्र सिंह कुशवाह को टिकट दे दिया। नरेंद्र सिंह कुशवाह को टिकट मिलते ही संजीव कुशवाह के अरमानों पर पानी फिर गया। अब वे भी अपनी राजनीति जमीन मजबूत रखने के लिए चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।

ये रहे फायदे में

ऐसा नहीं है कि दल बदल कर भाजपा या कांग्रेस में आए सभी नेताओं के साथ ऐसा हुआ हो। भाजपा से कांग्रेस में आए भंवर सिंह शेखावत को बदनावर से, खातेगांव से दीपक जोशी , सेमरिया से अभय मिश्रा, होशंगाबाद से गिरिजा शंकर शर्मा, महू से रामकिशोर शुक्ला, जावद से समंदर पटेल, भिंड से चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी, बालाघाट से अनुभा मुंजारे, कटंगी से बौद्ध सिंह भगत को टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने बड़वाह से सचिन बिरला, मैहर से श्रीकांत चतुर्वेदी, वारासिवनी से प्रदीप जायसवाल, बिजावर राजेश शुक्ला को टिकट दिया है।(विनायक फीचर्स)