वो गुलाब - ज्योति अरुण

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कैसे कह दूं ...मेरे पास गुलाब नहीं है

गुलाब सी खुशबू लिए,

आये हो मेरी जिंदगी में,

कैसे कह दू कि तुम गुलाब नहीं हो,

चाहत का एक अरमान लिए

जज्बातों में प्यार का एहसास

को पिरोकर..रोज एहसास होता,

कैसे कह दूं कि मेरा पास गुलाब नहीं ही।

तुम्हारा ख्याल , तुम्हारा वजूद,

जो खुद मेरे पास खिलता गुलाब है,

वो गुलाब जो मुझे आगे हिम्मत देता है,

वो गुलाब जो आगे मुझे खुशी देता है,

वो गुलाब जो मुझे आगे बढ़ने में मदद देता है,

वो गुलाब जो मेरे साथ रहता है,

वो गुलाब जिसके नखरा करने,

से मुझे ..... गुदगुदी होती है

वो गुलाब सिर्फ ...मेरा गुलाब है।

- ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश