रचूंगी एक नई कविता - सुनीता मिश्रा
Jul 2, 2024, 22:33 IST
| कहा है मुझे तुमने...
कुछ सुनाओ ना..
क्या सुनना है तुमको?
ये तुम बताओ ना...
मेरे पास क्या है सुनाने को?
सिर्फ तुम ना....
मेरी हर कविता होती है...
प्रारंभ...
शब्दों से तेरे...
हर कविता की सरगम...
तुम हो ...
और आलाप तुम हो...
लय भी तुम हो...
तब भी कहते हो...
मुझसे...
कुछ सुनाओ ना...
तुम बोलोगे ...
तो शब्द मिलेंगे कहने को ...
तब रचुँगी एक नई कविता..
तुम आओ ना पास मेरे...
कुछ सुनाओ ना अपनी...
वे बाते जो अनकही हैं...
तुम आओ ना.........
-सुनीता मिश्रा, जमशेदपुर