चुप थे - सुनील गुप्ता
Sun, 30 Apr 2023
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चुप थे
तो चल रही थी....,
ये ज़िन्दगी बड़ी लाजवाब !
खामोशियाँ बोलने लगी
जबसे........,
तो, बवाल मच गया जनाब !!1!!
कहते थे कि मौन में
रहना ही सबसे......,
अच्छा होता !
पर, मन कहां
ये रहता शांत......,
वो तो दौड़ते ही रहता !!2!!
जानें क्यों
बैठे हैं यहां......,
बदहवास में हम चुपचाप !
कह दो उनसे
जाकर कि......,
बोलेंगे तो होंगे बदनाम ही आप !!3!!
वक़्त बदलने का
करें क्यों........,
हम इंतजार यहां !
शामे ग़ज़ल
सज रहीं हैं......,
चले बिखेरते मदहोशी यहां !!4!!
है रात का
घनघोर सन्नाटा.....,
और बह रही ठंडी बयार !
चांदनी की
मधुर शीतलता......,
बना रही हमें बेक़रार !!5!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान