देख तमाशा कठपुतली का - सुनील गुप्ता

देख तमाशा कठपुतली का
है दुनिया का ये खेल अजब !
खेल रहे हम तुम सब मिलके.....,
दिखा रहे नए-नए करतब !!1!!
कोई बना है यहां पर राजा
तो कोई बना यहां पे है रंक !
सुना रहे सब अपनी कहानी.....,
बजाएं ढोलक, मंझीरा चंग !!2!!
भेजा जिसने दिखलाने करतब
उसे भूल चुके हम यहां सभी !
करने लगे अपना ही नाटक......,
बिसराए चले नियम सभी !!3!!
हैं उसकी अंगुली से सब बंधे
ये भूल गए यहां हम शायद !
उसको ही बांधके मूरत में....,
जा रहे हैं तोड़ते सभी यहां हद !!4!!
ये अंबर बांटा, बांटी रे धरती
और बांट दिया सारा ही जल !
एक दूजे के बनें हैं दुश्मन.....,
और ना जानें अपना यहां कल !!5!!
क्या होगा नहीं रही समझ है
अपनी ताकत बुद्धि पे इतराए !
एक छोटी सी घटना ने आखिर .......,
सबके प्राण हलक में अटकाए !!6!!
समझजा रे तू है कठपुतली
काहे को अभिमान करे !
उसके आगे चाल चले ना.......
समझजा उसके इशारे रे !!7!!
अपनी हद पहचान ले बंदे
तू है कच्ची माटी से बना !
पलभर में मिट जाएगा तू.....,
क्यूँ करता है अभिमान घना !!8!!
उसके आगे टेक दे मस्तक
वही हम सबको पार लगाए !
बस,अपना रोल अदाकर चलते......,
क्यों मालिक बनना तू चाहे !!9!!
कठपुतली है रे तू मानव
बना रहे बस कठपुतली !
अपनी औकात पहचानता चल रे.....,
उसके आगे किसी की ना चली !!10!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान