सच्चाई की राह में - सुनील गुप्ता
चलते चलते जब थक जाएं,
जीवन में सच्चाई की राहों पे !
तो कदम हमारे रुक आएं स्वतः......,
और रहें हम बैठे ताकते शून्य में !!1!!
है मुश्किल बहुत इन राहीं पे आगे बढ़ना ,
और सदैव उसपे यहां डटे रहना !
पर, मन में गर एक बार ठान लिया तो.......,
आसां हो जाए सफर में आगे बढ़ना !!2!!
है सच कि ये दुनिया हमें जीने नहीं देती,
और झूठ बोलने पर करे है सदा मजबूर !
पर, यदि हम अपनी जिद पे आ जाएं तो....,
हर ताकत का कर सकते हैं घमंड चकनाचूर !!3!!
है सच्चाई की राहों पे चलना दूभर,
मानों कि चल रहें हों गर्म अंगारों पे !
है झूठ की राह पे चलना आसान.....,
जहां स्वागत में खड़े हों लोग पग-पग पे !!4!!
माना कि सच्चाई की राह है संघर्षों से भरी,
पर, सच में है ये आनंद खुशियाँ देने वाली !
बस, एकबार चल पड़ें सत्य की राह में.......,
तो, दौड़ी चली आएंगी जीवन में खुशहाली !!5!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान