ख़्यालों में भीग गए - सुनील गुप्ता

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बूंदे गिरी कुछ यूं कि

हम ख़्यालों में भीग गए   !

बरसों पुरानी यादों में हम .....,

ना जाने कहां डूब गए  !!1!!

बरसात की बूंदों को पकड़ना

उसमें नहाना याद है    !

कश्ती बना पानी में तैराना.....

बचपन की बातें याद है  !!2!!

कहीं दूर निकल यादों के संग

हम उसमें ही ना खो जाएं   !

ख्यालों के भंवर जाल में......,

आकर कहीं फ़िसल ना जाएं !!3!!

जब होते अपने साथ अकेले

तो होते ख्यालों में रमे    !

जीवन की तन्हाईयों संग.....,

गातें चलें हम झूमें-झूमें !!4!!

वो भीगी यादों के भोले चेहरे

ठहरी ग़ज़ल सी लगे हमको  !

हम चलें गुनगुनाते यहां पर ....,

वाबस्ता थे जिनसे मिलके  !!5!!

भूल भुलैया में खोए

ख्यालों में रहना अच्छा है  !

औरों को बीती क्या सुनाएं....,

यादों में रमना अच्छा है  !!6!!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान