अब तक का सार - डॉ.सत्यवान सौरभ

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सुख की गहरी छाँव में, रहते रिश्ते मौन !

वक्त करे है फैसला, कब किसका है कौन !!

अब ऐसे होने लगा, रिश्तों का विस्तार !

जिससे जितना फायदा, उससे उतना प्यार !!

भैया खूब अजीब है, रिश्तों का  संसार !

अपने ही लटका रहें, गर्दन पर तलवार !!

कब तक महकेगी यहाँ, ऐसे सदा बहार !

माली ही जब लूटते, कलियों का संसार !!

-डॉ.सत्यवान सौरभ, 333, परी वाटिका, कौशल्या भवन,

 बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045,