सफलता - जया भराडे बडोदकर

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vivratidarpan.com - मनीष ने रोज की तरह आज भी अनूज को स्कूल छोड़ने के लिए स्कूटर बाहर निकाली।  थोड़ी देर तक तो स्टार्ट ही नहीं हुई। और फिर थोडी दूर जाकर बंद पड गई, अनुज पांचवी कक्षा में पढता धा आज उसकी एग्जाम थी, अनुज बड़ा परेशान होने लगा। मनीष भी सोच में पड गया चारों ओर कोई भी ऑटो नजर नहीं आ रहा था। तभी पास में एक कार आके रुकी और उसमें बैठे शख्स  ने उन्हें स्कूल तक छोड़ दिया। मनीष ने उसे दिल से शुक्रिया अदा किया।

पर अब मनीष ने ठान लिया था कि एग्जाम के समय वह भी सुबह सुबह अपनी गाड़ी लेकर यूँ ही निकला करेगा। ताकि वह जरुरत मंद की सहायता कर सके। उसने अब अपनी स्कूटर को भी ठीक करके रख दिया था।

कुछ दिन बाद अनुज का रिजल्ट आया और अनुज ने पूरी क्लास में प्रथम आया था। तो मनीष ने  सबसे पहले भगवान् से उसी शक्श के लिए दिल से दुआ मांगी, क्योंकि वह शख्स उस दिन नहीं मिलता तो अनुज कभी भी प्रथम नहीं आ सकता था।

- जया भराडे बडोदकर, टा टा सेरीन, ठाने, मुम्बई, महाराष्ट्र