पंजाब में मान और केजरीवाल में उलझी सरकार - सुभाष आनंद
Vivratidarpan.com- पंजाब के मुख्यमंत्री तो आम आदमी पार्टी के भगवंत सिंह मान हैं लेकिन यहां निरंतर आरोप लग रहे हैं कि सरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चला रहे हैं। केजरीवाल की घोषणाएं मुख्यमंत्री मान पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इस समय पंजाब में किसान बाढ़ के कारण हुए नुकसान के लिए मुआवजे को लेकर सडक़ों पर हैं, पुरानी पेंशन की बहाली व अन्य मांगों को लेकर पंजाब के डीसी कार्यालयों के मुलाजिम बीते एक माह से कलम छोड़ हड़ताल पर चल रहे है पटवारियों से लेकर बेरोजगार टीचर्स आंगनवाड़ी वर्कर,बिजली कर्मचारी वर्तमान सरकार की हिटलरी नीतियों के कारण बगावत का झंडा बुलंद किए हुए हैं।
मान साहिब चुनाव से पहले कहा करते थे कि हमारी सरकार बनने के पश्चात किसी को धरने प्रदर्शन नहीं करने पड़ेंगे,हद तो तब हो गई जब मान साहिब की मुंह बोली बहन को अमृतसर रैली से पहले ही हिरासत में ले लिया गया और अगले दिन छोड़ दिया गया।
पंजाब के शहरों और गांवों में किसी किस्म के विकास फंड उपलब्ध नहीं करवाए गए। पंजाब में स्वास्थ्य ढांचा चरमरा गया है। सरकारी कर्मचारियों के सभी तरह के भत्तों पर कटौती लगा दी गई है। कर्मचारियों को 2 वर्ष में एक बार मिलने वाला एलटीसी भत्ता भी अब पति पत्नी में से किसी एक को मिलेगा, जिसके कारण पंजाब सरकार के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है।
एक सर्वेक्षण से प्राप्त सूचना में आम आदमी पार्टी के विधायकों और आम आदमी पार्टी के वालंटियरों में भी खाई बढ़ती जा रही है। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी के विधायक जाने से डरते हैं, क्योंकि सीमावर्ती बाढ़ प्रभावित लोगों को अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला। डेढ़ वर्ष से ज्यादा समय बीत जाने के पश्चात आम आदमी पार्टी की पंजाब में शाईनिंग शनै-शनै धीमी पड़ रही है।
महिलाओं में आम आदमी पार्टी के प्रति रोष लगातार बढ़ रहा है। प्रति माह महिलाओं को 1000 रुपए दिए जाने का वायदा हवा हवाई होता जा रहा है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यदि आज पंजाब में चुनाव हो जाए तो आम आदमी पार्टी को 30 सीटें ही हिस्से में आएंगी। लोकसभा चुनाव सिर पर है जनता की अपेक्षाओं पर मान साहिब की सरकार पूरी नहीं उतर रही है। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। आम आदमी पार्टी के विधायक अब वीआईपी हो चुके हैं, उनको मिलने के लिए जनता तरसती रहती है। आम आदमी पार्टी विधायक अब सरकार के खिलाफ बोलने लगे हैं। विधायक कुंवर प्रताप सिंह और इंदरबीर सिंह निझर ने अमृतसर में जिस प्रकार एक पुराने स्कूल को रंग रोगन करने के पश्चात स्कूल आफ एमीनेशन का उद्घाटन करवाया , उससे सरकार की पोल खुल चुकी है।
पंजाब के मुख्यमंत्री पंजाब का पैसा दिल्ली में खर्च कर रहे हैं,वह भी चिंता का विषय है, विकास के मामले में पंजाब फिसड्डी साबित होता जा रहा है। पंजाब की कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है।चोरी लूट, डकैती और स्नैचिंग की घटनाओं में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। पंजाब में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है,जिसके कारण नौजवान नशे के धंधे में अपनी जवानी बर्बाद करने में लगे हुए हैं। केजरीवाल -मान साहिब को पंजाब का आदर्श मुख्यमंत्री तो कह रहे हैं, परंतु पंजाब की जनता भगवंत सिंह मान से त्रस्त हो रही है। मुख्यमंत्री ने जिस प्रकार पंजाब के सभी सरपंचों एवं पंचायतों को हिटलरी एलान से भंग कर दिया था,उसे माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों पर यह फैसला वापिस लेना पड़ा।
पंजाब सरकार का कर्मचारी वर्ग पुरानी पैंशन बहाली को लेकर सडक़ों पर उतर चुका है, लोकसभा चुनाव ज्यों-ज्यों निकट आ रहे हैं,त्यों त्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान की भांति 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने की मांग भी जोर पकड रही है। टेलीविजन चैनलों पर विज्ञापनों के आधार पर चलने वाली सरकार को धरातल पर उतरना होगा, क्योंकि भगवंत मान नि:संदेह पंजाब के मुख्यमंत्री है,परंतु पंजाब सरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ही चला रहे हैं। (विनायक फीचर्स)