तुमसे नफरत होने लगी - गुरुदीन वर्मा आज़ाद

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तुमसे इस तरह नफरत, होने लगी।

और मुलाकातें कम तुमसे, होने लगी।।

तुमसे इस तरह---------------------।।

यकीन जैसे तुमको, नहीं मेरे प्यार पर।

धूमिल तेरी छवि मालूम, होने लगी।।

तुमसे इस तरह---------------------।।

इज्जत बहुत दी तुमको, यकीन हो मुझपे।

नहीं मिली तुमसे खुशी, शर्म होने लगी।।

तुमसे इस तरह---------------------।।

नचाया बहुत मुझको , बनाकर खिलौना।

लेकिन तेरी बेदर्दी की, हद होने लगी।।

तुमसे इस तरह---------------------।।

बहुत इंतजार किया,तेरे मिलने आने का।

मगर बेवफा तू मुझसे, जब होने लगी ।।

तुमसे इस तरह---------------------।।

- गुरुदीन वर्माआज़ाद

तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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