लो आ गया वसंत - अनिरुद्ध कुमार
Fri, 24 Feb 2023
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पुलकित लागे कली कली,कण-कण लगे जिवंत,
सुरभित गमगम गली गली, मनमोहित अत्यंत।
लो आ गया वसंत।
टेसू टेसू बने ठने, छेड़े राग अनंत,
जड़ चेतन हैं आनंदित, झूमें मस्त महंत।
लो आ गया वसंत।
बैरागी मन हर्षाये, मोहित राजा संत।
हो विभोर जीवन गाये, मुखरित आज दिगंत।
लो आ गया वसंत।
रस रंजित नव डाढ़ पात, खुशी का नहीं अंत।
पुरवा रह रह बलखाये, मधुरिम गान तुरंत।
लो आ गया वसंत।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड