समर्थ रचनाकार विजयानन्द की सम्बोधन तथा अन्य कविताएं
Vivratidarpan.com - डॉ विजयानन्द प्रमाणिक कवि है.... प्रयागराज की पावन भूमि से हिंदी का अलख जगाएं हुए समर्थ रचनाकार हैं। डॉ विजयानन्द की सभी विधाओं में 51 पुस्तकें प्रकाशित हैं व विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में संपादन कर रहे हैं।
डॉ विजयानन्द की सम्बोधन तथा अन्य कविताएं कृति में युद्धों की विभीषिका में मानव जाति की निरीह पिसती जिन्दगी नजर आती है। मासिक वृत्ति पर सैनिक जन अपनी आत्माहुति देते हैं। अहिंसा हिंसा में बदल जाती है.... ऐसे ही तथ्यों को कृति सम्बोधन में व्यक्त किया गया है साथ ही आज की सदी के संघर्ष, शिक्षा, समाज, मंहगाई, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, अविश्वास, झूठ, फरेब आदि से जूझते मानव को कुरेदती कविताओं को शामिल किया गया है। मन को स्पर्श करती हुई पंक्तियां देखिए -
बिखरी लाशों को कभी नहीं,
चिन्ता थी ऐसे मरने की।
जीवन से लड़ जीवन को पा,
अरि के जीवन को हरने की।।
बस स्वाभिमान था शासन का,
उसमें ही शासन थे शासित।
उनके पोषित सब सैनिक जन,
जो सचमुच उन पर थे आश्रित।।
(पुस्तक समीक्षा)
कृति - सम्बोधन तथा अन्य कविताएं
रचनाकार - डॉ विजयानन्द प्रयागराज
संपर्क - 93351 38382
- समीक्षक - कवि संगम त्रिपाठी, जबलपुर, मध्यप्रदेश