गीत -- मधु शुक्ला

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आजादी की कीमत हमको‌, बार-बार‌‌ समझाता है।

वीर शहीदों की कुर्बानी, याद हमें करवाता है।

लाता है छब्बीस जनवरी, सुधियाॅ॑ जालिम लोगों की।

भारत माता के कष्टों की, और राजसी‌ भोगों की।

पराधीन जीवन से नाता, सहज नहीं बतलाता है....।

मिली विरासत को चमकाना, भूलें जब - जब संतानें।

दीमक  लग  जाती  चौखट में,  रंजिश  दीवारें  ठानें।

इसी सत्य से हमें मिलाने, गणतंत्र दिवस आता है....।

गौरवशाली इतिहास रखें, जीवित फर्ज हमारा है।

धरा हिन्द पर अपनेपन का , वापस लाना नारा है।

देश प्रेम के बिन आजादी, से मिट जाता नाता है.....।

 --  मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश

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