गीत - मधु शुक्ला

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कभी बरसात का आनंद बचपन प्राप्त करता था।

बहे जब नाव कागज की खुशी से झूम उठता था।

पुरातन काल में परिवार मिलकर साथ रहते थे।

सभी जन एक दूजे की खुशी का ध्यान रखते थे।

बड़े ही प्यार से बचपन सभी के बीच पलता था..... ।

कभी बरसात का आनंद………………………….

हमें जब से लगी भौतिक खुशी सबसे अधिक प्यारी।

हुए अपने विलग हमसे खुशी मन की गई मारी।

नहीं बचपन कभी पहले अकेला मौन रहता था...... ।

कभी बरसात का आनंद………………………….

घरों का रूप परिवर्तित हुआ जब से लुटा बचपन।

लड़कपन की तंरगों में हुईं पैदा कई अड़चन।

उचित मनुहार पोषण प्राप्त कर के वह महकता था....।

कभी बरसात का आनंद………………………….

- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश