गीत - मधु शुक्ला

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पर्वतों की सैर का संसार दीवाना।

प्राकृतिक सौंदर्य को चाहे हृदय पाना।

शुद्ध शीतल वायु सेहत को बनाती है।

स्वच्छता का पाठ मानव को पढ़ाती है।

पर्वतों पर आप मैला मन न ले जाना...... ।

पर्वतों पर लोग जाते शांति पाने को।

जिंदगी के ताप से खुद को बचाने को।

मुस्कुराना सीख लो जब तब यहाँ आना...... ।

सभ्यता शहरी प्रकृति से प्रेम सीखेगी।

पर्वतों की सैर का आनंद जब लेगी।

मन कहेगा पर्वतों का रूप फैलाना....... ।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश