गीत (योग गान) - जसवीर सिंह हलधर
आरोग्यम जीवन की पहचान बना लो ।
तन मन को रोग मुक्त अभियान बना लो ।।
है योग सिद्ध साधन जीवन शैली का ।
करता है शोधन इस काया मैली का ।।
कुंभक , पूरक, रेचक हैं इसके साधन ,
यम, नियम, आसनों को परिधान बना लो ।।
आरोग्यम जीवन की पहचान बना लो ।।1
अब एक सांस भी व्यर्थ न जाने पाये ।
कोई व्याधि हमें आकर के नहीं सताये ।।
जो सत्य न समझे मूर्ख बड़े पातक हैं,
अभिशापित जीवन को वरदान बना लो ।।
आरोग्यम जीवन की पहचान बना लो ।।2
इस योग शक्ति का तुमको भान नहीं है ।
कुंडलनी की गति का अनुमान नहीं है ।।
मूरख को योग बना सकता है ज्ञानी ,
यदि चाहो तो खुद को भगवान बना लो ।।
आरोग्यम जीवन की पहचान बना लो ।।3
बगिया में घूम रहा सांसों का माली ।
करता गिनती फूलों की डाली डाली ।।
हैं रोग, भोग दोनों भँवरे बगिया में ,
"हलधर" इस वन को देवस्थान बना लो ।।
आरोग्यम जीवन की पहचान बना लो ।।4
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून