गीत (सार छंद) - कविता बिष्ट 

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महका महका बाग यहाँ है गीत प्यार के गायें।

हर्षित मन होने लगता है,सुख जीवन के पायें।।

फुलवारी में नित खिलते हैं, नवल प्रीत सी कलियाँ।

राग नेह का जब गाते हैं, मिलती सारी खुशियाँ।।

सजना से सजनी मिलती है,  मधुवन दोनों जायें।

रास रचायें मिलकर जब भी,सुख जीवन के पायें।।

आनंदित प्रतिपल होता है,सबको आज बतायें।

जीवन का हर छोर सजा है,गीत प्यार के गायें।

निर्मल पावन प्रेम संग में, मिलती जीवन धारा।

गूँज रहा है प्रेम धरा में, पुलकित मन है सारा।।

खुशियों से भरकर झोली है, नाते हमने पायें।

आँख मिचौली क्यों करते हो,गीत प्यार के गायें।।

~कविता बिष्ट 'नेह', देहरादून , उत्तराखंड