शिव आराधन - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 | 
pic

शिवशंकर कैलाश बिहारी।

महिमा अपरंपार तिहारी।।

भक्त सदा तुम्हरे गुण गाते।

श्रद्धा से निज शीश नवाते।।

विग्रह का अभिषेक कराते।

गंगाजल की धार लगाते।

दधि घृत मधु शर्करा चढ़ाते।

बेलपत्र सँग भंग चढ़ाते।।

सुखकर्ता दुखहर्ता शंकर।

दुष्ट दलन करते प्रलयंकर।।

पाप कर्म जब होते भारी।

तुम बन जाते तब खल संहारी।

प्रभु हो तुम दयालु अविकारी।

करें भक्ति सुर, मुनि, नर-नारी।।

महादेव तुम  अवढरदानी।

महिमा तुम्हरी सब जग जानी।।

संकट-कष्ट शंभु सब हरते।

कृपा मिले बिन कार्य न बनते।।

भक्ति भाव से शीश नवाते

शिव आशीष पुण्य फल पाते।।

गरल पिया जग के हित तुमने।

शीश नवाया प्रभु को सबने।।

सकल सृष्टि के भये सहाए।

नीलकंठ शिव तब से कहलाए।।

कृपा करो भोले भंडारी।

अब बरात की हो तैयार।।

बाट जोहते हैं सुर नर नारी।

शिव गौरी की जोड़ी न्यारी।।

हर्षित हैं जग के जन सारे।

शिव बरात की  राह निहारे।।

श्री हिमवान करें अगवानी।

शंकर ब्याहें मातु भवानी।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश