सरसी छंद - मधु शुक्ला
Nov 26, 2023, 22:59 IST
| रूप रंग को खूब निखारे, नारी का शृंगार,
मिले प्रशंसा जब अपनों से, मिलती खुशी अपार।
झुमका, झूमर, कंगन, चूड़ी, पायल की झनकार,
प्रेम तराने गायें पावन, छलकायें नित प्यार।
नयनों से मिल कजरा बोले, साजन जी से बात,
रहो सामने आप हमेशा, पुलकित रहता गात।
हिना, महावर, साड़ी, चुनरी, कहते यह दिन रात,
अनुरागी मन हुआ हमारा, फेरे लेकर सात।
लगता तब शृंगार मनोहर, हो साजन का साथ,
हो प्रगाढ़ विश्वास परस्पर, हाथों में हो हाथ।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश