गागर में सागर - सुनील गुप्ता

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गागर में सागर भर लाएं

और जीवन को हम खुशहाल बनाएं  !

है जो भी थोड़ा अपने पास.....,

आओ उसको मिल बाँटके खाएं  !!1!!

गागर में सागर लहराएं

और जीवन को आनंदमय बनाएं  !

चलें जीवन को हर पल हर्षाए......,

और जीवन को सुखमय सदा बनाएं !!2!!

जब गागर में सागर आए उतर

तो, चलें बुझाएं प्यासों की प्यास  !

आओ जीएं जीवन मिलजुलकर....,

और दें औरों को जीने की आस !!3!!

गागर में सागर है भरना

तो, करना होगा पहले मन को साफ  !

और करते चलना होगा परमार्थ....,

तभी, कटेंगे सारे जीवन के पाप  !!4!!

चले गागर में सागर सदा हर्षाए

और जीवन का परम सत्य दिखलाए  !

जो है प्राप्त हमें, है वह पर्याप्त.....,

इस सच से सदा अवगत करवाए !!5!!

कह लेना थोड़े में ही बहुत अधिक

है गागर में सागर भरने जैसा  !

सदा जीवन में इसे अपनाए चलें.....,

तो, बनेगा मन हमारा कुंदन जैसा !!6!!

चलें गागर में सागर यहां भरते

और पहचानें शब्दों की महिमा  !

यहां बोलें कम और सुनें ज्यादा......,

और बनाएं रखें स्वयं की गरिमा !!7!!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान