राष्ट्र का सम्मान हिंदी - डा० क्षमा कौशिक
Sep 15, 2023, 23:35 IST
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वाणी का वैभव भाव विन्यास है,
अंतर से प्रसृत मृदुल प्रवाह है,
जोड़ती सहज हृदय के तार है,
गूंथती दृढ़ एकता की माल है।
अलंकरणों से सजाती देह को,
नवरसों से सींचती है भाव को,
छंदबद्ध हो या कि होवे छंद मुक्त,
सहृदय को खींचती निज राग से।
समृद्ध है, विशाल शब्द भंडार है,
काव्य का अति विशद संसार है,
देश का गौरव आत्म सम्मान है,
हिंदी भाषा हिंद की पहचान है।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून उत्तराखंड