गणतंत्र - झरना माथुर
Jan 28, 2024, 00:00 IST
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गण के लिए ही गण के द्वारा हिन्दोस्तान है,
देशभक्तों की शहादत का ये हिंदुस्तान है।
रोजी रोटी के नाम पे वोट बिक रहे यहां,
फिर भी गरीबी, बेकारी कम क्यूँ ना है।
हर रोज नये कानून बन रहे हैं यहां,
फिर भी यहां पे बेटियां महफूज़ क्यूँ ना है।
शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी भी बिकने लगा यहां,
आपा-धापी लूट है, चैन कयूँ ना है।
आम आदमी की जरूरते एक है यहां,
लहू का रंग एक है तो प्यार क्यूँ ना है।
संविधान में अधिकार है सबके लिए यहां,
उनके लेने देने में समता क्यूँ ना है।
- झरना माथुर, देहरादून, उत्तर प्रदेश