रिश्ते - मोनिका जैन

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बहुत अजीब  हो गये है रिश्ते आजकल,

सब फुरसत  मे है पर वक़्त किसी के पास नही,

मजबूरीयो से लङ कर रिश्ते समेटती हूँ

पर जाने क्यूँ फिर लोग कहते है,

मुझे रिश्ते  निभाना  नही आता !

रिश्तो की सिलाई  अगर भावनाओं  से जुड़ी  हो तो

टूटना मुश्किल है,

अगर स्वार्थ और पैसे से जुङी हो तो जुङना मुश्किल है,

कुछ बेबस लम्हे कुछ बेबस रिश्ते

कमजोर  हाथो से सम्भालती हूँ  पर फिर भी बार बार फिसल जाते है!

रिश्ते अमीरी और गरीबी मे भी फासले बढ़ाते है,

आशाये ऐसी हो जो रिश्ते में प्यार और अपनापन दर्शाये,

रिश्ते  ऐसे हो जो साथ चलना सिखाये,

एक कि कमी को दूसरा छुपाय

ऐसा नही कि  उसकी कमी का उसको अहसास दिलाये,

जीवन ऐसा की रिश्तो की कदर करे,

और रिश्ते  ऐसे हो जो याद करने पर मजबूर कर दे!

नही तो रिश्ते  मे आये जख्म,

टूटे काँच की तरह जिन्दगी  भर चुभते है,

और ना मिटने वाले निशान छोङ जाते है

जिस तरह पेङ की जङो में चोट आने पर टहनियाँ सूख कर झङ जाती है,

उसी तरह खास रिश्तो मे भी दूरियाँ आ जाती है!

- मोनिका जैन मीनू, फरीदाबाद, हरियाणा