हर जगह पंहुच जाते - रश्मि मृदुलिका

 | 
pic

जो कहीं नहीं पहुंचे ,

वो जड़ की तरह फैलते है,

और शाखाओं में चलते हैं,

जो कहीं नहीं पहुंचे

वो पर्वत की तरह अडिग होते हैं,

जो ऊंचे होकर आकाश छूँ लेते हैं,

जो कहीं नहीं पहुंचे

वो नींव की तरह मजबूत होते हैं

जिन पर टिकी होती है कालजयी इमारतें,

सच यह है कि जो कहीं नहीं पहुंचे

उन तक पहुँचती है, दुनियाँ की नजरें,

क्योंकि अपने उसूलों के पांवों से,

वो छू आते हैं संसार का हर कोना,

क्योंकि हताशा, लालच और

चाटुकारिता के धक्के उनकी

पीठ पर चोट नहीं करते,

न उनके पैरों को खींच पाती है,

मतलबी, मौकापरस्ती के रास्ते,

जो कहीं नहीं पहुंचते,

वो हर जगह पंहुच जाते हैं,

- रश्मि मृदुलिका, देहरादून, उत्तराखंड

News Hub