राममय मुक्तावली - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
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बारह दिन का समय बचा है, अपने घर आयेंगे राम।
सर्व सनातन के अनुयायी, हर दिन जपें राम का नाम।
विद्युत गति से बनता मन्दिर, अवधपुरी बदले नित रूप,
रामलला की करे प्रतीक्षा, पुनः अयोध्या पावन धाम।।
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एक एक कर घटते जाते, बचे मात्र ग्यारह दिन आज।
बाईस को है प्राण प्रतिष्ठा, तब पूरित हो प्रभु का काज।
अच्छे दिन वापस आयेंगे, सनातनी करते विश्वास,
नई अलख फिर से जागेगी, रामलला का होगा राज।
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पौष माह, द्वादशी, जनवरी, परम सुपावन है बाईस,
प्राण प्रतिष्ठा से मिट जाए, मन में पैठी गहरी टीस।
वैसे तो सब जाना चाहें, किंतु व्यवस्था का है प्रश्न,
जो इस दिन दर्शन कर पाए, वो हो सबसे बड़ा रईस।
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मंदिर ऐसा भव्य बन रहा, हर मन्दिर से है यह खास।
कोना-कोना बना अलौकिक, सबके मन को आये रास।
प्रांगण में ही साथ बन रहे, जहाँ विराजें देवी-देव,
रामलला सँग दर्शन सबके, पूर्ण करेंगे मन की आस।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश