राम बनावै दुखी जनो के सारे बिगड़े काम -- डॉ.जय सिंह आर्य
vivratidarpan.com दिल्ली। अयोध्या मे ५०० वर्षो बाद रामलला की प्रतिमा नवनिर्मित श्रीराम मंदिर मे स्थापित करने पर भारत ही नही, विदेशों में एक दूसरी दिवाली के रूप मनाया गया। विशेष यह कि इसमें सभी धर्म के लोगों ने सहभागिता दी। जनमानस गली मोहल्ले, गांवों में भी श्रीराम से प्रेरणा लेते हुए दिखाई दिए। जलपान किया मिठाईया बांटी । देश के छोटे बड़े हर व्यक्ति ने अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार श्री राम के गुणगान मे दीप मालाए प्रज्वलित की। कही भजन संकीर्तन,कवि सम्मेलनों का आयोजन हुआ।
साहित्य संवाद, दिल्ली के माध्यम से सुरेश खांडवेकर द्वारा,अपने परिसर दिल्ली फुटवियर मार्कट न्यूज,२५, सेंट्रल मार्केट अशोक विहार में आयोजित श्रीराममयी कवि सम्मेलन में देश के राष्ट्रीय कवि डॉ जयसिंह आर्य, डॉ संजय जैन, श्री राजेंद्र निगम 'राज' इंदूराज निगम, राजरानी भल्ला, ऊर्वी ऊदुल , सेठ रामनिवास गुप्ता, श्री साक्षात भसीन , पारूल राज व अशोक शर्मा ने सारगर्भित और ओजपूर्ण प्रस्तुतियां देकर कार्यक्रम को राममयी बना दिया। एक तरह से कवि सम्मेलन से आध्यात्मिक वातावरण हो गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिध्द राष्ट्रीय कवि -गीतकार डॉ. जयसिंह आर्य ने की। आपने एक से बढ़कर एक राममयी गीत, गजलें और मुक्तक सुनाएं। आपके साथ दर्शक भी गाते रहे। श्री जयसिंह आर्य के काव्य में संदेश तो था ही साथ ही उनकी अद्भुत गायकी शैली ने भी सबको बांधे रखा । संचालन डॉक्टर संजय जैन का बहुत ही रोचक और सटीक रहा।
रचनाकारो की उल्लेखनीय पंक्तिया ---
अपने रामलला आए अपने
राम लला आए
जन-जन के मानस में अब तो रामलला छाए
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बोलों राम राम राम बोलों राम राम राम ।
राम बनावै दुखी जनो के सारे बिगड़े काम।।
- डॉ जयसिंह आर्य (अध्यक्ष)
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अरे रामभक्तों अयोध्या में आओ,
मेरे राम फिर से अवध आ गए हैं।
सभी आज उनकी चरणरज लगाओ,
मेरे राम फिर से अवध आ गए हैं।
- डॉ संजय जैन दिल्ली
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सत्य का दर्पण सबको दिखाना पड़ा,
युग प्रणेता को युग से मिलाना पड़ा।
- राजरानी भल्ला दिल्ली
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सत्य सनातन की धरती पर राम नाम का गान रहे,
मानवता मरने न पाए इसका तुमको भान रहे।
- उर्वी ऊदल लखनऊ
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बाट जोहते जिनकी सबके नैना पथराए,
चौदह वर्ष रहे वो वन में लक्ष्मण सीता संग।
उसके संग रहने के मैंने भी अवसर पाए,
- राजेन्द्र निगम 'राज" गुरुग्राम
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हम सब ने मन के मन्दिर में दीप जलाए हैं,
आज अयोध्या नाथ अयोध्या वापिस आए हैं।
- इंदू निगम 'राज' गुरुग्राम
साहित्य संवाद की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए सुरेश खांडवेकर ने कहा इस समय रचनाकारों का दायित्व बढ़ गया है। मनोरंजन के साथ श्रेष्ठ साहित्य से समाज को प्रेरणा देने की आवश्यक्ता है।