बारिश का पानी, आफ़त में ज़िंदगानी - सुनील गुप्ता

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 ( 1 ) बारिश का पानी

और आफ़त में ज़िंदगानी,

अब जाएं तो जाएं कहाँ  !

रफ्तार थमी, ज़िन्दगी ठहरी सहमी...,

और किसे सुनाएं कथा व्यथा अपनी यहाँ!!

( 2 ) बारिश की झड़ी

नदी नालों की गति,

चलें बहाए ले जा रहे हमें  !

गाड़ियाँ बही, सभी घर मकान डूबे.....,

और  सुनाई दे रहा बस चहुँओर शोर हमें!!

( 3 ) बारिश की फुहारें

चलें सभी को सुहाएं,

पर, किसे पसंद है बारिश मूसलाधार !

इसने बिगाड़ी,पटरी से ज़िंदगी उतारी....,

और अतिवर्षा ने थामी ज़िंदगी की रफ़्तार !!

( 4 ) बारिश की बूंदे

बिना रुके-थमें अनथक,

चलें जीवन को तरबतर कर जाएं !

आप्लावित जन जीवन चले हताशा में नहाए ..,

और इंद्रदेव सभी पे तेज बारिश बरसाएं !!

( 5 ) बारिश का रेला

चला तोड़ सभी बधाएं,

ले चला बहाए जो भी आया पथ में !

श्रावण का महीना, लगाएं श्रीशिव के जयकारे.,

अब तो श्रीआशुतोष ही सबको यहाँ बचाएं!!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान