प्रांत गीत - (ये उत्तराखंड हमारा) - जसवीर सिंह हलधर

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पर्वत,घाटी, नद, झरनों का, अनुपम है यहां नजारा ।

ये उत्तराखंड हमारा , ये उत्तराखंड हमारा ।।

ये देव लोक कहलाता है, भारत मां का उत्तर आंचल ।

पश्चिम में जोनसार बावर , पूरब को छूता कुरमांचल ।

नारायण करते वास यहां,चरणों में बहती ध्रुव नंदा ।

नगपति पर सदा चमकती हैं नंदा और त्रिशूली वृंदा ।

ज्योतिर्मय लिंग सुशोभित है ,केदार खंड है न्यारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा ---1

कालिंद शिखर से यमुना जी, गंगा से मिलने जाती हैं ।

कोशी ,रामा,सरयू गंडक ,धरती की प्यास बुझती हैं ।

गौमुख से भागीरथी मात,चट्टान हिलाती चलती हैं ।

पिंडर ,मंदाकिनी, सोन नदी, अलका में आकार मिलती हैं ।

देवस्थल पर संगम करके, बनती गंगा की धारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा  ----2

फूलों की भिन्न भिन्न किस्में, औषधियां पायी जाती हैं ।

पशुचारा, ईंधन की लकड़ी,जंगल से लायी जाती हैं ।

बुग्याल हरेली घासों के, हर ओर दिखाई देते हैं ।

कलरव मोनाल परिंदो के , हर ओर सुनाई देते हैं ।

फूलों की घाटी से ऊपर ,ये हेमकुंड गुरुद्वारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा ---3

युग युग से धर्म सनातन का, वैराग छुपा है घाटी में ।

वन की रक्षा करने वाला ,अनुराग छुपा है घाटी में ।

पुरखों की त्याग तपस्या का,अधिवास छुपा है घाटी में ।

नगपति पर जान लुटाने का, इतिहास छुपा है घाटी में ।

संजीवनी बूटी मिली यहां, वैद्यों ने यही पुकारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा –4

मांगल, जागर, झोड़ा, खुदेड़, रम्माण गीत गाए जाते ।

बुडियात,सरों,थड़िया,भैला ,चौफला नृत्य पाए जाते ।

रणसींग,ढोल, घाना,थाली, मंजीर बजाए जाते हैं ।

मोछंग, डुमाऊं,मशकबीन ,पे गीत सुनाए जाते हैं ।

शंभू का डमरू बजे यहां,नारद जी का इकतारा ।।

ये उत्तराखण्ड हमारा ----5

सदियों से मानव जीवन का ,वनवास यहां पर दिखता है ।

तीलू रौतेली के रण का, अभ्यास यहां पर दिखता है ।

मुगलों की नाक काटने का ,इतिहास यहां पर दिखता है ।

कर्णावती कूट नीतियों का ,विन्यास यहां पर दिखता है ।

देवी,देवों की डोली हैं जो देती सदा सहारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा --6

गजराज, रीछ ,कस्तूरी मृग ,बाघों का खास निवास यहां ।

गौमाता,भेड़,बकरियां हैं , काकड़ ,चीतल का वास यहां ।

खेतों में बैलों की जोड़ी, बंदर, लंगूर प्रवास यहां ।

मछली की भिन्न भिन्न किस्में,नदियों में मिलती खास यहां ।

खच्चर ने बोझा ढो ढो कर, घाटी का रूप निखारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा – 7

भीमाल,किलमोडा,अमलतास,शीशम है लाल बुरांस यहां ।

हैं देवदार रिंगाल,चीड़,पीपल हैं बांज, पलाश यहां ।

काफल अमरूद खुमानी हैं,

हर्षिल का सेब बहुत मीठा ।

आडू, अंजीर, संतरा हैं त्रिफला , आम ,लीची, रीठा ।

मंडुआ,झंगोरा,कुलथ,भात का भोग सभी को प्यारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा ----------8

अल्मोड़ा, बागेश्वर में तो, कुछ खास कहानी मिलती हैं।

कुछ गुप्त वंश के शासन की,अनमोल निशानी मिलती हैं ।

लोहा, तांबा, सीसा,खड़िया, चूने की खानें मिलती हैं ।

बजरी,रेता,पत्थर वाली हर ओर खदानें मिलती हैं ।

इसके दर्रों से खुलता हैं, कैलाश धाम का द्वारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा ---9

कुछ शहर हमारी घाटी के ,दुनिया में जाने जाते हैं ।

ये नैनीताल , मसूरी तो, जग में पहचाने जाते हैं ।

हर की पौड़ी से काबड़िए ,गंगा जी का जल भरते हैं ।

मुनि की रेती में संन्यासी, हठ योग साधना करते हैं ।

सैलानी आते खूब यहां ,होटल हैं पांच सितारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा -----10

मैदानों में गेहूं ,गन्ना ,चावल की खेती होती है ।

देहरा का बासमती चखने ,दुनिया ये स्वप्न संजोती है ।

अदरक ,हल्दी ,राई ,पालक घाटी में पैदा होते हैं ।

जैविक खेती पर जोर यहां , आलू, जौ, सरसों बोते हैं ।

कलियर में बैठा एक पीर ,गंगा की नहर किनारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा ----11

तेरह जनपद से बना प्रांत ,हर वर्ग यहां पर रहता है ।

जो भी आता है एक बार , वो स्वर्ग इसी को कहता है ।

भोले भाले हैं लोग यहां , पर्यटकों की करते सेवा ।

दुनिया के सैलानी आकर,दिखवाते बच्चों के टेवा ।

कंकर,कंकर शिवशंकर है,भोले बाबा का नारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा ----12

कृषि के विश्व विद्यालय हैं अभियंत्रण के संस्थान यहां ।

आइएमए एफआरआई से प्रशिक्षण के संस्थान यहां ।

गढ़वाल, कुमाऊं फौजों का, इतिहास गवाही देता है ।

ये प्रांत देश की सेना को ,निर्भीक सिपाही देता है ।

“हलधर” ने ये कविता रच के,घाटी का कर्ज उतारा ।।

ये उत्तराखंड हमारा , ये उत्तराखंड हमारा ।।13

- जसवीर सिंह हलधर, देहरदून