कहती हमसे राखियाँ - प्रियंका 'सौरभ'

 | 
pic

चिठ्ठी लाई गाँव से, जब राखी उपहार ।

आँसूं छलके आँख से, देख बहन का प्यार ।।

रक्षा बंधन प्रेम का, हृदय का त्योहार ।

इसमें बसती द्रौपदी, है कान्हा का प्यार ।।

कहती हमसे राखियाँ, तुच्छ है सभी स्वार्थ ।

बहनों की शुभकामना, तुम्हें करे सिद्धार्थ ।।

भाई-बहना नेह के, रिश्तों के आधार ।

इस धागे के सामने, सब कुछ है बेकार ।।

बहना मूरत प्यार की, मांगे ये वरदान ।

भाई को यश-बल मिले, लोग करे गुणगान ।।

सब बहनों पर यदि करे, मन से सच्चा गर्व ।

होता तब ही मानिये, रक्षा बंधन पर्व ।।

-प्रियंका सौरभ, उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045

(मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप)