प्रताप - सुनील गुप्ता

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 ( 1 ) " प्र ", प्रचंड

अखंड प्रताप का तेज देखते ही,

शत्रु सेना में भगदड़ मच जाया करती  !

महाराणा की तलवार और भाले के आगे,

फिर कहाँ कोई भी शत्रुसेना टिक है पाती  !!

( 2 ) " ता ", ताकत

बुद्धि में प्रताप मुकाबले,

दूर-दूर तक नहीं था कोई भी सेनापति !

युद्ध कौशल में प्रवीण,बहादुर थे महाराणा ,

छद्मवार करके पहुँचायी अकबर को क्षति !!

( 3 ) " प ", परतंत्रता

स्वीकारी नहीं प्रताप ने,

करते रहे महाराणा संघर्ष जीवन भर  !

और चले अपनी आन बान शान बचाए हुए...,

भले जंगलों में रहना पड़ा हो निर्वासित होकर !!

( 4 )" प्रताप ", प्रताप

के तेज प्रताप के आगे,

नहीं ठहर सका कोई भी राजा महाराजा !

सम्राट अकबर भी हरा ना पाए प्रताप को...,

इतिहास में अमर हो गए मेवाड़ के महाराणा  !!

( 5 )" प्रताप ", प्रताप

बनें, वीरता के प्रतीक ,

और लहराया राजपूत गौरव का परचम  !

सभी करते नमन वंदन महाराणा प्रताप को..,

और चेतक के बलिदान का करते हैं स्मरण !!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान