प्रणाम - सुनील गुप्ता

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है प्रणाम हमारी संस्कृति

और शुभ संस्कार हमारे  !

आओ करें नित्य प्रणाम.....,

और पाएं शुभाशीर्वाद न्यारे  !!1!!

प्रणाम हमें झुकना सीखाए

और चले अहंकार मिटाए  !

दिलाए अपनों का ये सामीप्य....,

और ज्ञान अनुभव कराते जाए !!2!!

है प्रणाम आदर भावना

शुद्ध मन से ही ये की जाए  !

जगाए चले ये हमारे भाग्य.....

और शीतलता मन में भर जाए !!3!!

प्रणाम है निश्चल प्रेम

मन से मन को यहां मिलाए  !

दूर करते चले ये दुःख अशांति.....,

और सौहार्द स्नेह प्यार फैलाए !!4!!

प्रणाम से आएं सुविचार

जो मन का मैल सदा मिटाएं  !

कर प्रस्फुटित हिय में उमंग....,

तन मन जीवन सारा खिलाएं !!5!!

प्रणाम मिटाए चले क्रोध

और आपस में गले लगाए  !

ये चले आंसूओं को पोंछता......,

और हो गदगद सबको मिलाए !!6!!

है प्रणाम जीवन अनुशासन

और हमारी सनातन परम्परा  !

नित्य करते चलें सबको प्रणाम....,

है यही पूजा अर्चन वंदन हमारा  !!7!!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान