प्रभु राम - मीनू कौशिक
Jan 18, 2024, 23:18 IST
| मेरे प्रभु राम से कैसे , भला कोई वैर को पाले ,
अधर मुस्कान मोहिनी , नयन करुणा भरे प्याले ।
धरा ये राम की है , राम से विद्रोह क्या करना ,
ये नादानी नहीं अच्छी , चलो इस वैर को टाले ।
न निज हित को कोई साधे , राम के नाम को लेकर ,
न इस घर को कोई बांटे , राम के नाम को लेकर ।
राम जन-जन का है प्यारा , सदा निर्बल का सहारा,
मिटे सब भेद अब सारे , राम के नाम को लेकर ।
✍️ मीनू कौशिक "तेजस्विनी", दिल्ली