प्रभु दर्शन - सुनील गुप्ता

 | 
pic

मन मंदिर में बैठे प्रभु को

करता हूं नमन वंदन बारम्बार  !

ना जाने कब से रहा पुकारता.....,

आजा प्रभु मिलने एक बार  !!1!!

अब तो आजा, दे जा दर्शन

बैठा कबसे करता इंतजार   !

ना जाने कब तक आएगा....

पर, है मुझको तुझपे एतबार !!2!!

सुन ले मेरी एक अरज प्रभु

है तेरे दर्शन की इच्छा  !

सुबह ओ शाम रट लगाए.......,

हूं जपता रहता करुं प्रतीक्षा  !!3!!

अब तो आकर, प्यास बुझा दे

हे मेरे प्रभु, परवरदिगार   !

होने लगी संध्या, अब फिर से.....,

कब से तकता रहा हूं द्वार !!4!!

एक बार आकर मुझे देजा

अपने दर्शनों का उपहार  !

या फिर कोई भेज दे संदेशा.......,

कर लूंगा मैं और इंतजार !!5!!

अब तो सुनले मेरे ह्रदय की

हे प्रभु मेरी करुण पुकार   !

कब से बैठा तेरे ही द्वारे.....,

करता सुमिरन बारम्बार !!6!!

बीत रही है मेरी उमरिया

कब तक तू तरसाएगा  !

आजा मेरे कान्हा प्रिय अब......,

बिन तेरे ना रहा जाएगा !!7!!

बैठा अब तो थकने लगा हूं

रहा ना जाए एक भी पल  !

करता विनती तुझसे प्रभु मैं......,

देजा दर्शन का ये फल !!8!!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान