छंद सृजन -- मधु शुक्ला

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झूलने  में  झूलकर  मिलता  बड़ा  आनन्द।

ऋतु गुजरती श्रावणी अति शांति से सानंद।।

ग्रीष्म से हमको दिलाती मुक्ति जब बरसात।

नीर की बौछार से पुलकित रहे अति गात।।

साल  में  बस  एक  ही अवसर हमें हो प्राप्त।

मन लुभावन वायु रहती इस समय ही व्याप्त।।

मन सुहाने स्वप्न देखे इस समय कुछ खास।

देव  भोलेनाथ   करते  पूर्ण  सबकी  आस।।

---- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश.