कविता -- जसवीर सिंह हलधर

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इसरो ले आया घट घट नया उजाला ।

मामा के घर पहुंचा है विक्रम लाला  ।।

कवि दिनकर द्वारा तुमने जो भी बोला ।

माता ने भेजा दर्जी संग झंगोला ।।

पोशाक सही सिलकर वो पहनाएगा ।

तब ही धरती पर वापिस वो आएगा ।।

कुछ खास नमूने धरती पर लाएगा ।

ईंधन का नेक विकल्प हमें पाएगा ।।

कर दिया दूर दुनिया का सारा संशय ।

साकार किया भारत ने अपना  निश्चय ।।

नासा वाले कुप्पे से फूल रहे थे ।

इसरो की ज्ञान शलाका भूल रहे  थे ।।

चंदा के दक्षिण ध्रुव पर केतु तिरंगा ।

कर दिया चीन के अहंकार को  नंगा ।।

ये भारत अब पहले सा नहीं सरल है ।

छूकर तो देखो बहती हुई अनल है ।।

संपूर्ण सौर मंडल में राज हमारा ।

दुनिया ने इसरो के यश को स्वीकारा ।।

कुछ ढोंगी  मजहब की आयत पढ़ते हैं ।

जो रोज  धर्म  के  नए  नियम  गढ़ते हैं ।।

जिनको मांटी की लाज नहीं है  प्यारी  ।

घर में  ही कुछ बैठे  हैं  अत्याचारी ।।

कुछ  नेता झूठे नंबरदार बने  हैं ।

कुछ चीन देश के पैरोकार बने है ।।

जो आतंकी को मित्र कहा करते हैं ।

वाणी से जिनके  गरल बहा करते हैं ।।

यदि कोई अपना  चलता  रथ  रोकेगा ।

तो भारत उसको घर में घुस ठोकेगा ।।

हलधर"कविता चिंगारी है पहचानो ।

दुश्मन को तेग दुधारी है सच मानो ।।

- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून