तस्वीर - अमन रंगेला "अमन"

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भूखे गरीब पेट पे झुक आई कमर है,

लाठी के सहारे टिकी इंसा की उमर है।

है ज़िन्दगी मजबूरियो का फ़क्त फसाना,

रोटी की एक आस है जीने का बहाना।

बेचैन है रूह कितनी तरसती है निगाहें,

कांटे है बिछे दूर तक अंजान है राहे।

रोता है बुढ़ापा कही, बिकती है जवानी,

हर आदमी के लब पे है पैसे की कहानी।

पैसा दिलो के प्यार मे दीवार बन गया,

फूलों के बीच जुल्म का एक खार बन गया।

मजहब के मंदिरों से सब भगवान उठ गये,

एक दूसरे के हाथो की इंसान लुट गये।

कैसा अजीब मुल्क के हालात हो गये,

हाकिम तड़पती कौम के महलो मे सो गये।

देते है वो आवाज गरीबी को हटाओ,

कहती है गरीबी,ये खुदगरजी को मिटाओ।

यह दीन रहेगा सदा ईमान का सारा,

फुटपाथ पर जीयेगा ये भगवान का प्यारा।

इस पर रहा है एक आसमान का साया,

किस्मत को कोसता रहा,दुनिया का सताया।

जिस दिन ये जान जाएगा हक अपना मांगना,

उस दिन ही चमक जाएगा किस्मत का आईना।

रोके नही रुकेगा वो तुफान फिर उस दिन,

हो जाएगा सब एक से इंसान उसी दिन।

ऐसे तो मसअले कभी ये हल नही होंगे,

इस "अमन" के दुःख दर्द कभी कम नही होंगे।

-अमन रंगेला "अमन" सावनेरी

 सावनेर नागपुर महारास्ट्र फोन -  9579991969