फागुनी बसंत - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
Mar 28, 2024, 23:23 IST
| ओ बसंत की चपल हवाओं, फागुन का सत्कार करो,
अलसाए जन-जन के तन-मन, ऊर्जा का संचार करो।
बीत गई है शरद-शिशिर ॠतु, गरमी अब है आने को,
आने वाले अंतराल में, सारे गम हैं जाने को।
पीली सरसों फूट पड़ी है, कनक सुनहरी है तैयार,
रंग-रँगीले इस मौसम में, प्रकृति करे नूतन शृंगार।
अभिलाषा भरपूर फसल की, कृषकजनों को हुलसाती,
एक नए सुखमय जीवन की, उनमें नव उम्मीद जगाती।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश